बस्तर कोल्ड स्टोरेज क्रांति: दंतेवाड़ा में खुल रही पहली आधुनिक सुविधा, आदिवासी गांवों को मिलेगा सीधा फायदा
दंतेवाड़ा में 25 करोड़ की लागत से कोल्ड स्टोरेज और रेडिएशन सुविधा का निर्माण शुरू हुआ है, जिससे आदिवासी किसानों और वनोपज संग्राहकों को बेहतर दाम और रोजगार मिलेगा। यह परियोजना बस्तर क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को नया आयाम देगी।

छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग में अब आदिवासी किसानों और वनोपज संग्राहकों को अपनी उपज के लिए बेहतर दाम मिलेगा। दंतेवाड़ा जिले के पातररास गांव में एक आधुनिक कोल्ड स्टोरेज और रेडिएशन तकनीक आधारित भंडारण सुविधा की शुरुआत हो रही है। यह केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना और जिला खनिज निधि के सहयोग से विकसित किया जा रहा है। यह देश में अपनी तरह की पहली सरकारी सुविधा होगी, जो पूरी तरह से जनजातीय विकास पर केंद्रित है।
25 करोड़ रुपये की लागत से बदलेगी बस्तर की तस्वीर
करीब 25 करोड़ रुपये की लागत वाली इस परियोजना में 1500 मीट्रिक टन क्षमता का कोल्ड स्टोरेज, 1000 मीट्रिक टन फ्रोजन स्टोरेज, ब्लास्ट फ्रीजर, रेडिएशन मशीन और सामान ढोने के लिए ट्रक की व्यवस्था की गई है। इसके साथ ही 70 किलोवॉट का सोलर सिस्टम भी लगाया जाएगा जिससे ऊर्जा की बचत होगी। इस सुविधा से हर साल 10,000 मीट्रिक टन उपज को सुरक्षित रखा जा सकेगा।
बर्बादी रुकेगी, आमदनी बढ़ेगी
बस्तर में महुआ, इमली, जंगली आम और देशी मसालों जैसे उत्पाद बड़ी मात्रा में होते हैं, लेकिन अब तक उन्हें संरक्षित करने की सुविधा नहीं थी। हर साल 7 से 20 प्रतिशत उपज खराब हो जाती थी। अब इनकी शेल्फ लाइफ बढ़ेगी और किसान सीधे बड़े बाजार से जुड़ेंगे। रायपुर और विशाखापत्तनम जैसे शहरों में इनके लिए पहले से बाजार तय किए गए हैं।
स्थानीय युवाओं को मिलेगा रोजगार
इस सुविधा से हर साल करीब 8.5 करोड़ रुपये का राजस्व आने का अनुमान है। साथ ही, इस परियोजना से ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार भी बढ़ेगा। स्थानीय युवाओं को तकनीकी और संचालन कार्यों में नियुक्त किया जाएगा, जिससे उन्हें अपने गांव में ही काम करने का मौका मिलेगा।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय का विजन
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने इस परियोजना को "आदिवासी भविष्य की नींव" बताया और कहा कि इससे बस्तर में स्थायी विकास, बेहतर बाजार और सम्मानजनक जीवन का मार्ग प्रशस्त होगा। यह पहल बस्तर को आत्मनिर्भर और समावेशी विकास का मॉडल बनाने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है।